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NEET UG Result Court Stay: नीट यूजी रिजल्ट जारी करने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, देखिए किस कारण रिजल्ट पर रोक लगी है और आगे कब जारी होगा

By mehntijob.com

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NEET UG Result Court Stay

इंदौर में नीट-यूजी परीक्षा के दौरान आई तकनीकी समस्याओं के चलते एक अभ्यर्थी द्वारा कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिससे इस अहम परीक्षा के परिणाम पर अस्थायी रोक लग गई है। यह फैसला उन लाखों छात्रों को प्रभावित कर सकता है जो मेडिकल में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं। याचिका में अभ्यर्थी ने आरोप लगाया कि परीक्षा के दौरान बिजली गुल होने से वह सभी प्रश्न हल नहीं कर सका, और इसलिए उसे दोबारा मौका मिलना चाहिए। कोर्ट ने इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए परिणाम जारी करने पर रोक लगाई है।

बताया जा रहा है कि इंदौर के कई परीक्षा केंद्रों में 4 मई को मौसम खराब होने की वजह से घंटों बिजली नहीं थी। नतीजतन, छात्रों को अंधेरे में परीक्षा देनी पड़ी, कुछ जगहों पर तो मोमबत्ती के सहारे पेपर हल कराए गए। यह घटना ना सिर्फ परीक्षा प्रक्रिया पर सवाल उठाती है, बल्कि ऐसे उच्चस्तरीय प्रवेश परीक्षा की तैयारी में आई खामियों को भी उजागर करती है।

NEET UG Result Court Stay

याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी बताया कि मौसम विभाग ने पहले ही तूफान की चेतावनी दी थी, बावजूद इसके केंद्रों पर बिजली का कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं किया गया था। कोर्ट ने इस बात को गंभीर मानते हुए संबंधित एजेंसियों से चार सप्ताह में जवाब मांगा है कि आखिर ऐसी स्थिति में क्या तैयारी की गई थी और जिम्मेदारी किसकी बनती है।

इस पूरे प्रकरण में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को भी कटघरे में खड़ा किया गया है। कोर्ट ने पूछा है कि जब परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर ऐसी गड़बड़ियां हुईं, तो छात्रों को उचित और समान परीक्षा वातावरण कैसे मिला? इससे निष्पक्षता पर सीधा असर पड़ा है, जो शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता के लिए खतरे की घंटी है।

छात्रों की मांग है कि जहां इस प्रकार की समस्या सामने आई है, वहां दोबारा परीक्षा करवाई जाए। कुछ छात्रों को उम्मीद की किरण दिख रही है कि कोर्ट से उन्हें न्याय मिलेगा, जैसा कि 2016 और 2022 में दूसरे राज्यों में हो चुका है, जब प्राकृतिक आपदा या तकनीकी दिक्कतों के कारण प्रभावित छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिला था।

यह मामला शिक्षा व्यवस्था की मूलभूत तैयारियों और व्यवस्था की पारदर्शिता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। नीट जैसी देश की सबसे बड़ी परीक्षाओं में यदि छात्रों को इस प्रकार की मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलतीं, तो उनका हक और मेहनत दोनों पर पानी फिर जाता है। कोर्ट के इस हस्तक्षेप से प्रभावित छात्रों में राहत की भावना जरूर आई है, लेकिन यह सिस्टम के लिए एक चेतावनी भी है कि भविष्य में ऐसी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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