राजस्थान में पशु परिचर भर्ती को लेकर हाल ही में बड़ा फैसला सामने आया है। राजस्थान हाई कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है, जिससे हजारों अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर फिलहाल पानी फिर गया है। इस भर्ती में कुल 6000 से अधिक पदों के लिए आवेदन हुए थे और परीक्षा भी दिसंबर 2024 में सफलतापूर्वक संपन्न करवाई गई थी। लेकिन अब कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया में अपनाए गए नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले को लेकर सवाल उठाए हैं और भर्ती की अंतिम नियुक्तियों पर रोक लगा दी है।

पशु परिचर भर्ती में कुल 6433 पदों के लिए राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने आवेदन आमंत्रित किए थे, जिनमें से अधिकांश पद गैर अनुसूचित क्षेत्रों के लिए थे जबकि कुछ पद अनुसूचित क्षेत्रों के लिए रिज़र्व रखे गए थे। इसके अलावा, बाद में 499 अतिरिक्त पद भी इस भर्ती प्रक्रिया में जोड़े गए। कुल मिलाकर इस भर्ती के लिए 17.63 लाख से भी अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनमें से करीब 10.52 लाख अभ्यर्थी ही परीक्षा में शामिल हुए। इस परीक्षा को तीन दिन यानी 1, 2 और 3 दिसंबर 2024 को छह शिफ्टों में आयोजित किया गया था। हर शिफ्ट में अलग प्रश्नपत्र थे और इसके कारण नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई गई।
नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी परीक्षा को अलग-अलग शिफ्टों में कराया जाता है ताकि हर शिफ्ट के पेपर की कठिनाई के स्तर को समान माना जा सके और एक समान आधार पर परिणाम घोषित किए जा सकें। लेकिन इस भर्ती में इस फॉर्मूले के चयन के तरीके पर विवाद खड़ा हो गया। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि जो नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला अपनाया गया है, वह सही नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के खिलाफ है। खासतौर पर, अभ्यर्थियों ने यह तर्क दिया कि इस भर्ती में पी फॉर्मूला लागू किया जाना चाहिए था न कि जेड फॉर्मूला, क्योंकि जेड फॉर्मूला के कारण कुछ शिफ्ट के उम्मीदवारों को अन्य शिफ्ट की तुलना में अधिक फायदा मिला है।
विशेष रूप से यह बात सामने आई कि परीक्षा की छह शिफ्टों में से पहली और चौथी शिफ्ट के अभ्यर्थियों का चयन काफी कम हुआ जबकि छठी शिफ्ट में अभ्यर्थियों का चयन प्रतिशत काफी अधिक रहा। इससे भर्ती प्रक्रिया की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठे। इसके अलावा, कर्मचारी चयन बोर्ड ने कट ऑफ मार्क्स और स्कोरकार्ड की जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की, जिससे अभ्यर्थियों में असमंजस और चिंता की स्थिति बनी रही। बिना किसी पारदर्शिता के अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाना भी विवाद का विषय बना।
यही कारण था कि कई अभ्यर्थियों ने इस प्रक्रिया के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड तथा पशुपालन विभाग को चार सप्ताह के अंदर इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस रोक के दौरान दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया जारी रह सकती है लेकिन किसी भी अभ्यर्थी की नियुक्ति नहीं की जा सकती।
यह फैसला लाखों अभ्यर्थियों के लिए चिंता का विषय बन गया है क्योंकि भर्ती के परिणामों और नियुक्तियों की प्रक्रिया फिलहाल ठप हो गई है। अभ्यर्थियों ने कोर्ट में अपनी याचिका में कहा कि इस भर्ती में पारदर्शिता की कमी है और नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले को लेकर स्पष्टता नहीं दी गई। कोर्ट ने इस मुद्दे को सुनियोजित तरीके से हल करने के लिए अगली सुनवाई 2 जुलाई 2025 को निर्धारित की है।
पशु परिचर भर्ती के दौरान कुल 4,06,826 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए थे, जिनमें से 3,83,196 गैर अनुसूचित क्षेत्रों से और 23,630 अनुसूचित क्षेत्रों से थे। परन्तु अब यह आंकड़े भी संदिग्ध हो गए हैं क्योंकि चयन प्रक्रिया पर लगाई गई रोक के चलते नियुक्तियां फिलहाल नहीं हो पा रही हैं। अभ्यर्थियों की इस संख्या को लेकर भी सवाल उठे हैं कि क्या सही मायनों में सबसे योग्य उम्मीदवारों का चयन हुआ है या कहीं प्रक्रिया में अन्याय तो नहीं हुआ।
इस विवाद के कारण राजस्थान के हजारों युवा और बेरोजगार पशु परिचर पदों के लिए असमंजस में हैं। जो उम्मीदवार वर्षों से इस नौकरी का इंतजार कर रहे थे, वे अब अनिश्चितता की स्थिति में आ गए हैं। सरकार और कर्मचारी चयन बोर्ड के लिए यह चुनौती बनी हुई है कि वे जल्द से जल्द इस मामले को न्यायालय के निर्देशों के अनुसार हल करें ताकि भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ पूरा किया जा सके।
यह मामला केवल एक भर्ती प्रक्रिया का विवाद नहीं है, बल्कि यह पूरे भर्ती तंत्र में पारदर्शिता और न्याय की मांग का प्रतीक बन गया है। अभ्यर्थी और उनके परिवार इस प्रक्रिया के निष्पक्ष और पारदर्शी होने की उम्मीद लगाए हुए हैं। कोर्ट का यह फैसला यह भी दर्शाता है कि कानून और न्यायपालिका भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं करेगी और जरूरत पड़ने पर सख्त कदम भी उठाएगी।
अगली सुनवाई में कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। फिलहाल अभ्यर्थियों को भी धैर्य रखकर कोर्ट के आदेशों का इंतजार करना होगा। उम्मीद है कि न्यायालय और संबंधित विभाग इस मुद्दे का जल्द समाधान करेंगे ताकि राजस्थान के युवाओं को उनकी मेहनत और उम्मीदों का उचित फल मिल सके।
इस प्रकार राजस्थान पशु परिचर भर्ती मामले में नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूले के कारण हुई विवाद की वजह से फिलहाल नियुक्तियों पर रोक लगी हुई है, जो भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले समय में इस मामले का न्यायसंगत समाधान निकलेगा और अभ्यर्थियों को जल्द ही नौकरी पाने का मौका मिलेगा।