कॉलेज शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के लिए एक नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसमें पारंपरिक बीए, बीएससी और बीकॉम पाठ्यक्रम को एक नई दिशा दी गई है। अब इन कोर्सेज में पढ़ाई के साथ-साथ अप्रेंटिसशिप को भी जोड़ा जा रहा है। इसका मकसद सिर्फ शैक्षणिक डिग्री प्रदान करना नहीं है, बल्कि छात्रों को उद्योगों के साथ जोड़कर उन्हें व्यावहारिक अनुभव भी देना है। इस बदलाव से छात्रों को डिग्री के साथ-साथ नौकरी के लिए आवश्यक कौशल भी प्राप्त होंगे, जिससे उन्हें भविष्य में रोजगार पाने में सहूलियत होगी।
इस नई व्यवस्था के तहत छात्रों को अपनी पढ़ाई के दौरान इंडस्ट्री में जाकर प्रशिक्षण लेना होगा। यह प्रशिक्षण एक से तीन सेमेस्टर तक हो सकता है और यह छात्रों के करियर निर्माण में एक अहम भूमिका निभाएगा। उच्च शिक्षा विभाग ने इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं। जिन कॉलेजों के पास जरूरी संसाधन मौजूद हैं और जिनकी रैंकिंग बेहतर है, वहां इस प्रोग्राम को प्राथमिकता के साथ लागू किया जाएगा।
इस योजना के तहत छात्रों को सिर्फ प्रशिक्षण ही नहीं मिलेगा, बल्कि उन्हें एक निश्चित प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी ताकि वे वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों के बीच समझौते किए जाएंगे, जिससे छात्रों को प्रशिक्षण का वास्तविक लाभ मिल सके। इससे खासतौर पर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के छात्र लाभान्वित होंगे, जिन्हें कम खर्च में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशिक्षण मिल पाएगा।
पढ़ाई के साथ में कोर्स में पैसा भी मिलेगा
इस पूरी पहल को “अप्रेंटिस एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम” नाम दिया गया है। इसके तहत पारंपरिक तीन वर्षीय डिग्री कोर्स में बदलाव करते हुए छात्रों को एक समग्र अनुभव देने का प्रयास किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि छात्र जब डिग्री लेकर निकलें, तो उनके पास सिर्फ प्रमाण-पत्र न हो, बल्कि व्यावहारिक ज्ञान और काम का अनुभव भी हो। इस प्रकार वे सीधे रोजगार के लिए तैयार रहेंगे और भटकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
उच्च शिक्षा विभाग के सचिव के अनुसार, यह कार्यक्रम छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को उद्योगों की जरूरत के अनुसार ढालने से न केवल छात्रों को लाभ होगा, बल्कि कंपनियों को भी प्रशिक्षित और दक्ष युवा कार्यबल प्राप्त होगा। यह एक ऐसा बदलाव है जो आने वाले समय में उच्च शिक्षा की पूरी तस्वीर को बदल सकता है।